एक्टर सनी सिंह ‘उगड़ा चमन’ में नजर आने वाले हैं।
उगड़ा चमन समीक्षा (उजड्ड चमन समीक्षा): सनी सिंह को केंद्र में रखकर बनाई गई इस फिल्म का एक सबल पक्ष मानवी गगरू (मानवी गगरू) हैं लेकिन उनका किरदार कभी भी निखर के सामने आ गया है।
- News18Hindi
- आखरी अपडेट:2 नवंबर, 2019, 12:05 AM IST
कहानी की शुरुआत में दो-चार हल्के-फुलके हंसने के पल आते हैं लेकिन जल्द ही वो चमन के बालों की तरह कम होने लगते हैं। कुछ समय बाद यह सब एक विचित्र बुली होने में बदल जाता है जहां चमन के स्टूडेंट्स से लेकर उनके पड़ोसी तक उनकी शादी करवाने पर आमदा हो जाते हैं। हम ऐसे विश्वविद्यालय शिक्षकों से भी मिलते हैं जिनकी शादी को लेकर धारणाएं रातों-रात बदल जाती हैं। फिर स्क्रीन पर एक ऐसी भी स्टूडेंट आती है जो पेपर में आने वाले क्वेश्चन को पहले ही जानने के लिए चमन के साथ घूमने-फिरने से गुरेज़ नहीं करती।






सनी सिंह का अभिनय भी खुलकर सामने नहीं आ पाया।
एक बिलकुल ही रैंडम यूनिवर्सिटी स्टाफ भी है जो लोगों को अपनी शादी की प्यारभरी कहानियां सुना कर प्रेरित करने की कोशिश करता रहता है। कुल मिलाकर काफी चौंकाने वाला है जिसमें सनी सिंह की बेचारगी पर वास्तव में तरस आने वाला लगता है। इसलिए नहीं कि फिल्म ज़बरदस्त बनी हुई है, लेकिन वे कहाँ फंस गए हैं। वह इससे बेहतर फिल्म डिजर्व करते हैं।
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फिल्म का एक सबल पक्ष मानवी गगरू हैं लेकिन उनका किरदार कभी भी निखर के सामने नहीं आता। निर्देशक अभिषेक पाठक ने फिल्म का तीन चौथाई हिस्सा ‘टकले’ ह्यूमर के नाम कुर्बान कर दिया है। काश उन्होंने इसके बारे में थोड़ी गहराई से सोचा था!
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खैर, इस पूरी समीक्षा का लब्बोलुबाब यह है कि आर आप किसी गंजेपन से परेशान युवक को देख कर यूं ही ठहाके मारकर नहीं हंसने लगते हैं तो आपके लिए इस फिल्म में कुछ ख़ास बात श्रद्धा को काफी मुश्किल होगी। यदि आप वास्तव में ऐसी बातों पर हंस पड़ते हैं तो आपको मनोचिकित्सक की जरूरत जल्दी ही पड़ सकती है।
उगड़ा चमन को मिलते हैं 5 में से 1.5 स्टार।
डिटेल्ड रेटिंग
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संगीत | : |
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